जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ ने उठाई स्टार्टअप इकोसिस्टम की चिंताएं, बढ़ते रेगुलेशन पर जताई आशंका

जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ ने उठाई स्टार्टअप इकोसिस्टम की चिंताएं, बढ़ते रेगुलेशन पर जताई आशंका

नई दिल्ली: जीरोधा के को-फाउंडर नितिन और निखिल कामथ ने हाल ही में भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पर बढ़ते रेगुलेशन के संभावित नकारात्मक प्रभावों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अधिक नियमों के कारण स्टार्टअप्स की ग्रोथ रुक सकती है और इससे नवाचार को भी नुकसान पहुंच सकता है।

कामथ ब्रदर्स ने सीएनबीसी-टीवी18 के एक पॉडकास्ट में बताया कि वे उन नियामकों के अधीन हैं जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। नितिन कामथ ने कहा, “इनके फैसले हमारे रेवेन्यू को 50% तक कम कर सकते हैं और हमारी कंपनी को हमेशा के लिए बंद भी कर सकते हैं।”

रेगुलेटरी चैलेंजेज और नवाचार का संकट

कामथ ने एक शिक्षक के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि कैसे अत्यधिक नियंत्रण से छात्र (स्टार्टअप) अपनी रचनात्मकता खो देते हैं। उन्होंने कहा, “जब बच्चे डर में जी रहे हों, तो उनके लिए नवाचार करना मुश्किल हो जाता है।” निखिल कामथ ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय रेगुलेटर्स ने समय के साथ अपने सिस्टम को काफी दुरुस्त किया है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।

वित्तीय स्थिति और नया सर्कुलर

नितिन कामथ ने SEBI द्वारा जारी नए सर्कुलर का भी जिक्र किया, जो ब्रोकरों और ग्राहकों के बीच चार्ज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से है। इस सर्कुलर के चलते जीरोधा को अपने व्यापार मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “नए नियमों के कारण हमें या तो जीरो ब्रोकरेज स्ट्रक्चर को छोड़ना होगा या फिर F&O ट्रेड के लिए ब्रोकरेज बढ़ाना होगा।”

भविष्य की योजनाएं और बैंकिंग लाइसेंस की तलाश

कामथ ब्रदर्स ने यह भी कहा कि वे जीरोधा को एक बैंक में बदलने की योजना बना रहे हैं, हालांकि, कई प्रयासों के बावजूद अभी तक उन्हें बैंकिंग लाइसेंस नहीं मिला है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि बैंकिंग लाइसेंस के बिना उनके विकास की योजनाएँ बाधित हो सकती हैं।

उद्योग पर प्रभाव

कामथ ने कहा कि वर्तमान में उद्योग में परिवर्तनशीलता के कारण ब्रोकिंग फर्म चलाना एक कठिन काम हो गया है। “ब्रोकर का टर्नओवर बढ़ने पर चार्ज कम होता है, जबकि कम टर्नओवर पर ब्रोकर को अधिक चार्ज देना पड़ता है। यह स्थिति बाजार में असमानता को बढ़ा सकती है,” उन्होंने कहा।

हाल की घटनाएं

हाल के महीनों में, भारत में स्टार्टअप्स के लिए निवेश में कमी आई है, जिससे कामथ ब्रदर्स की चिंताएँ और भी गंभीर हो गई हैं। पिछले साल की तुलना में 2024 की पहली तिमाही में स्टार्टअप फंडिंग में 50% की गिरावट देखी गई है । ऐसे में, नितिन कामथ ने सुझाव दिया है कि बुनियादी ढांचे और निवेश की दिशा में और अधिक सहयोग की आवश्यकता है।

अंत में

कामथ ब्रदर्स की चिंताएं स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हैं कि उद्योग में स्थिरता और नवाचार को बनाए रखने के लिए सही संतुलन आवश्यक है। भारतीय स्टार्टअप्स को समर्थन देने और विकास की दिशा में प्रगति करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

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